Suzlon Energy : भारतीय स्टॉक मार्केट में ग्रीन एनर्जी कंपनियों का प्रदर्शन निवेशकों के लिए हमेशा से आकर्षण का विषय रहा है। खासतौर पर Suzlon Energy Share Price पिछले कुछ वर्षों में उतार-चढ़ाव भरे सफर के बावजूद निवेशकों की नज़र में रहा है। हाल ही में वैश्विक स्तर पर विंड एनर्जी सेक्टर से जुड़ी घटनाओं ने सुजलॉन के शेयरों को भी प्रभावित किया है।
डेनमार्क की सबसे बड़ी विंड फार्म कंपनी आर्स्टेड (Orsted) के शेयरों में अचानक भारी गिरावट देखने को मिली। कंपनी के अमेरिका स्थित Revolution Wind Project को रोकने के आदेश ने पूरी दुनिया के ग्रीन एनर्जी सेक्टर में नकारात्मक माहौल बना दिया। यही वजह रही कि भारत की सबसे बड़ी विंड टर्बाइन निर्माता कंपनी सुजलॉन एनर्जी के शेयर भी दबाव में आ गए।
Suzlon Energy Share Price में हालिया गिरावट
सप्ताह की शुरुआत में Suzlon Energy Share Price बीएसई पर 1.07% गिरकर ₹56.33 पर बंद हुआ। इंट्रा-डे में यह और टूटकर ₹55.91 तक पहुंच गया। यह लगातार तीसरा कारोबारी दिन था जब सुजलॉन के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई और तीन दिनों में लगभग 4.5% की गिरावट आई।
22 अगस्त को यह शेयर 0.58% की बढ़त के साथ ₹58.51 पर बंद हुआ था, लेकिन उसके बाद से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। निवेशकों के लिए यह उतार-चढ़ाव चिंता का कारण बना हुआ है, हालांकि लंबी अवधि के अवसरों को देखते हुए सुजलॉन अब भी मजबूत पोज़ीशन में दिखाई देती है।
वैश्विक प्रोजेक्ट का असर और Orsted संकट
अमेरिकी सरकार द्वारा रिवॉल्यूशन विंड प्रोजेक्ट रोकने का असर सबसे ज्यादा आर्स्टेड पर पड़ा। 80% पूरा हो चुका यह प्रोजेक्ट 704 मेगावाट क्षमता वाले टर्बाइन से करीब 3.5 लाख घरों को बिजली देने वाला था। लेकिन आदेश के चलते कंपनी को न केवल वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ा है, बल्कि उसके राइट्स इश्यू पर भी असर पड़ने की आशंका है।
हालांकि Orsted का सुजलॉन एनर्जी से कोई सीधा कारोबारी रिश्ता नहीं है, लेकिन वैश्विक नीतियों और निवेशक सेंटिमेंट में बदलाव का असर भारतीय कंपनियों पर भी पड़ता है। यही कारण है कि Suzlon Energy Share Price भी इस खबर के बाद दबाव में आ गया।
घरेलू स्तर पर सुजलॉन के लिए सकारात्मक संकेत
वैश्विक स्तर पर चुनौतियों के बावजूद भारत में सुजलॉन के लिए हालात अनुकूल बने हुए हैं। भारत सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। इसमें विंड एनर्जी की अहम भूमिका होगी।
सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम और राज्यों द्वारा लगातार जारी विंड पावर टेंडर ने सुजलॉन जैसी कंपनियों के लिए मजबूत बिज़नेस अवसर पैदा किए हैं। यही वजह है कि कंपनी की ऑर्डर बुक लगातार मजबूत हो रही है।
निवेशकों के लिए राहत की बात यह है कि घरेलू मांग और सरकारी नीतियों का सीधा फायदा सुजलॉन को मिल सकता है। इससे लंबे समय में Suzlon Energy Share Price में स्थिरता और संभावित तेजी देखने को मिल सकती है।
निवेशकों की रणनीति क्या हो?
शेयर मार्केट की दुनिया में वैश्विक घटनाओं का असर अक्सर घरेलू कंपनियों पर भी पड़ता है। यही वजह है कि निवेशकों को अल्पकालिक उतार-चढ़ाव को लेकर घबराने की ज़रूरत नहीं है।
सुजलॉन एनर्जी के मामले में निवेशकों को यह समझना होगा कि कंपनी का भविष्य घरेलू नीतियों, सरकारी सपोर्ट और रिन्यूएबल एनर्जी की बढ़ती मांग पर निर्भर है। इस लिहाज़ से देखें तो लंबे समय के लिए Suzlon Energy Share Price आकर्षक बना हुआ है।
हालिया गिरावट ने भले ही निवेशकों को झटका दिया हो, लेकिन ग्रीन एनर्जी सेक्टर की दीर्घकालिक संभावनाओं को देखते हुए सुजलॉन का शेयर अब भी ध्यान देने योग्य है। कंपनी की ऑर्डर बुक मजबूत है, घरेलू बाजार में मांग शानदार है और सरकार से नीतिगत सपोर्ट मिल रहा है।
वैश्विक नकारात्मक खबरों के चलते अल्पावधि में Suzlon Energy Share Price दबाव में रह सकता है, लेकिन लंबे समय के निवेशक इसे अपने पोर्टफोलियो में रखकर अच्छा रिटर्न पा सकते हैं.
Zeegrowth पर दी गई सभी खबरें और जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं। यह किसी भी तरह की निवेश सलाह या शेयर खरीद-बिक्री की सिफारिश नहीं है। शेयर बाजार में निवेश हमेशा जोखिम से जुड़ा होता है, इसलिए किसी भी निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। वेबसाइट पर दी गई जानकारी की पूरी सटीकता की गारंटी नहीं है।